सुना हैं आइना जूठ नहीं बोलता....!!!


सुना हैं आइना जूठ नहीं बोलता ....
सुबह होती हैं और अपने आप को देखता हूँ...
एक तवायफ की तस्वीर आईने में पाता हूँ...
सुना हैं आइना जूठ नहीं बोलता...
जिन्दगी जैसे एक कोठा ..
हररोज एक नया मुजरा करवाता हैं...
जो लोग अपनी घरवाली को घूँघट में रखते हैं....
वोह लोग ज्यादा मजे लेते हैं...
वाह वाही में अपने दिल की घुटन कम महसूस होती हैं...
पर ....
 कमबख्त आइना जूठ नहीं बोलता!!!
जब भी चहेरा दिखलाता हैं नकाब उतरवाता हैं....
सुना हैं आइना जूठ नहीं बोलता....!!!
-Manan Bhatt 14-03-2012(12:54)

Comments

good poem... like the analogies...!!
keep it up!
Manan said…
Thank yoU....Up'topi'an!!!

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